Friday, July 20, 2007

Motivate Yourself


राह में काँटे एक दो नहीं होते राह काँटों से भरी होती है मंज़िल उस राह के आखिरी छौर पर खड़ी होती है जहाँ हर कदम पर मिलती एक नयी चोटी है देख उसे जिनके हौंसले डगमगाते हैं वे मंज़िल को भुला काँटों मे उलझ जाते हैं जिनकी निगाह मंज़िल पर होती है वे काँटों पर ही चलकर मंज़िल को पाते हैं.

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